क्रिप्टोकरेंसी क्या है और कैसे काम करती है (What is Cryptocurrency and How it Works ?, Cryptocurrency Trading)
Cryptocurrency Trading हर देश की अपनी एक करेंसी होती हैं, और उस करेंसी के माध्यम से देश की अर्थव्यवस्था चलती है. किन्तु आजकल दुनिया में कुछ ऐसी करेंसी भी आ गई है, जोकि डिजिटल फॉर्म में होती हैं और हमें दिखाई नहीं देती है. ऐसी एक करेंसी जिसका नाम क्रिप्टोकरेंसी है, की बात आज हम इस लेख में करने जा रहे हैं. इस लेख में हम आपको क्रिप्टोकरेंसी क्या है, कैसे काम करती हैं, और कौन – कौन सी क्रिप्टोकरेंसी हैं, एवं इनकी विशेषतायें आदि इसी तरह की सभी जानकारी देने जा रहे हैं.
क्रिप्टोकरेंसी क्या है ? (What is Cryptocurrency ?)
क्रिप्टोकरेंसी, क्रिप्टोग्राफ़ी जैसी एक टेक्नोलॉजी द्वारा बनाई गई एवं डिस्ट्रिब्यूटेड लेज़र सिस्टम का उपयोग करने वाली एक डिजिटल मुद्रा हैं, जिसमें ब्लॉकचैन के द्वारा कार्य किया जाता है. इस टेक्नोलॉजी के माध्यम से डेवलपर्स ने इस तरह की करेंसी को बनाने का लक्ष्य रखा, जोकि अधिक समय के लिए, सुरक्षित, निजी, ट्रेस करने योग्य एवं डीसेंट्रलाइज्ड है. जब हमें बड़े लेवल पर किसी चीज को खरीदने या कोई सर्विस लेने के लिए भुगतान करना होता हैं, तब हम ऑनलाइन मनी एक्सचेंज के माध्यम से डिजिटल रूप में पेमेंट कर सकते हैं. अतः इसमें किया जाने वाला पेमेंट इन्टरनेट का उपयोग करके कुछ वॉलेट के रूप में किया जाता हैं. यह करेंसी हमें दिखाई नई देती हैं, इसलिए यह कैशलेस भुगतान का सबसे एडवांस्ड वर्जन है, जोकि डिजिटल फॉर्म में होता है.
क्रिप्टोकरेंसी कैसे काम करती है ? (How Cryptocurrency Works?)
क्रिप्टोकरेंसी किस तरह से कार्य करती हैं, इसे जानने के लिए आप नीचे दिए कुछ बिन्दुओं पर गौर फरमायें –
- क्रिप्टोकरेंसी का मुख्य कार्य होता हैं एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर में पैसे ट्रांसफर करना. और यह कार्य किया जाता हैं, ब्लॉकचैन के माध्यम से.
- ब्लॉकचैन बैंक की तरह कार्य करती है. इसमें जो भी लेनदेन किये जाते हैं, उसका पूरा रिकॉर्ड इस ब्लॉकचैन में होता है, जिससे धोखाधड़ी की संभावना काफी कम हो जाती हैं.
- इस टेक्नोलॉजी की कुछ लोगों द्वारा पॉवरफुल कंप्यूटर्स के माध्यम से निगरानी एवं जांच की जाती हैं. यह प्रोसेस क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग प्रोसेस होती हैं.
- जिनके द्वारा यह निगरानी एवं जाँच की जाती है, वे जैसे बैंक में क्लर्क का कार्य होता हैं, उसी तरह कार्य करते हैं, और इन्हें माइनर्स कहा जाता है.
- अब बात आती हैं ये माइनर्स इसकी निगरानी एवं जाँच किस तरह से करते हैं, तो हम आपको बता दें, कि यह करने के लिए उन्हें एक कोड प्राप्त होता हैं, और यह कोड उन्हें तभी प्राप्त होता हैं, जब उनके सामने प्रस्तुत होने वाले एक गणित का सवाल का वे सही हल करते हैं.
- यहां पर क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग प्रोसेस पूरी हो जाती हैं और इसके बाद एक्सचेंज प्रोसेस आती हैं, जिसमें क्रिप्टोकरेंसी को एक खाते से दूसरे खाते में ट्रांसफर किया जाता हैं.
- क्रिप्टोकरेंसी के माध्यम से जब खरीदारी, बिक्री या उसका व्यापार करते हैं, तो बात आती है कि आपके पास यह होती कहां हैं, तो आपको बता दें, कि इसके लिए कुछ वॉलेट होते हैं. जिसमे यह स्टोर रहती हैं.
- वास्तव में यह कंप्यूटर में सार्वजनिक और निजी कीस को स्टोर करने वाला एक प्रोग्राम है. और यह यूजर्स को डिजिटल करेंसी भेजने, प्राप्त करने और उसके संतुलन की निगरानी करने में सक्षम बनाता है. और इस तरह से क्रिप्टोकरेंसी कार्य करती हैं.
क्रिप्टोकरेंसी की शुरुआत कैसे हुई (The Origin of Cryptocurrency)
जब दुनिया में इन्टरनेट सुविधा शुरू हुई, तभी यह बहुत से लोगों के लिए अंजान थी. सन 1990 के दशक की बात करें, तो शुरुआत में अधिकांश लोग इन्टरनेट को समझने के लिए संघर्ष कर रहे थे. हालांकि बहुत से लोग इतने स्मार्ट थे, कि उन्हें इसके बारे में पूरी जानकारी थी कि आखिर इन्टरनेट इतना शक्तिशाली टूल कैसे हैं. ऐसे लोगों का मानना था, कि सरकार और कारपोरेशन का हमारे जीवन पर बहुत अधिक पॉवर हो गया है. और वे चाहते थे कि दुनिया के लोगों को इन्टरनेट का उपयोग करके स्वतंत्रता मिले. इसलिए ये साइफरपंक्स क्रिप्टोग्राफी का उपयोग करते हुए इन्टरनेट यूजर्स को अपने पैसे और जानकारी अधिक नियंत्रित रखने की अनुमति देना चाहते थे.
इसके लिए साइफरपंक्स ने डिजिटल कैश की एक सूची बनाई, जिसमें डिजिकैश और साइबरकैश दोनों एक डिजिटल मनी सिस्टम बनाने के प्रयास थे. किन्तु कुछ कमी के चलते दोनों असफल हो गए. फिर लंबे समय के इंतजार के बाद सन 2009 में एक डिजिटल कैश सिस्टम यानि डिजिटल करेंसी का अविष्कार किया गया, जोकि सफल रहा. और इस तरह से क्रिप्टोकरेंसी की शुरुआत हुई.
क्रिप्टोकरेंसी के प्रकार (Types of Cryptocurrency)
क्रिप्टोकरेंसी के कई प्रकार हैं यहां हम कुछ प्रसिद्ध क्रिप्टोकरेंसी के नाम एवं उसके बारे में कुछ चर्चा कर रहे हैं –
- बिटकॉइन (बीटीसी) :- क्रिप्टोकरेंसी में जो सबसे पहली और सबसे अधिक प्रसिद्ध हैं वह हैं बिटकॉइन. जी हां बिटकॉइन दुनिया में सबसे ज्यादा उपयोग की जाने वाली क्रिप्टोकरेंसी है. जिसका निर्माण साल 2009 में सतोशी नाकामोटो ने किया था.
- इथेरेयम (ईटीएच) :- यह क्रिप्टोकरेंसी का दूसरा प्रकार हैं, यह भी ब्लॉकचैन पर आधारित एक ओपन सोर्स डीसेंट्रलाइज्ड कंप्यूटिंग प्लेटफॉर्म हैं. इस क्रिप्टोकरेंसी के संस्थापक विटालिक ब्यूटेरिन है. इसमें एक डिजिटल टोकन का उपयोग किया जाता हैं, जोकि ईथर कहलाता है. इस क्रिप्टोकरेंसी के 2 वर्जन है पहला इथेरेयम (ईटीएच) एवं दूसरा इथेरेयम क्लासिक (ईटीसी). यह भी काफी प्रसिद्ध हुई है.
- लाइटकॉइन (एलटीसी) :- लाइटकॉइन भी बिटकॉइन की तरह ही हैं, जोकि डीसेंट्रलाइज्ड भी हैं और साथ ही पीर टू पीर टेक्नोलॉजी के तहत कार्य करती हैं. इसकी शुरुआत सन 2011 के अक्टूबर महीने में की गई थी. इस क्रिप्टोकरेंसी को चार्ल्स ली द्वारा शुरू किया गया था, जोकि उस दौरान एक गूगल कंपनी के एम्प्लोई थे. इसमें जब माइनिंग की प्रक्रिया होती हैं, तो उसमें स्क्रीप्ट एल्गोरिथम उपयोग होता है.
- डोज़कॉइन (डोज) :- इसकी शुरुआत इस तरह से की गई, कि जब बिटकॉइन प्रचलन में था, तो उस दौरान डोजकॉइन ने इसकी तुलना एक कुत्ते से कर दी थी. किन्तु बाद में यह खुद एक क्रिप्टोकरेंसी बन गई. इसके संस्थापक बिली मर्कस जी थे. आज के समय में इस क्रिप्टोकरेंसी की कीमत लगभग 197 मिलियन डॉलर से भी अधिक हैं. साथ ही इसमें माइनिंग भी जल्दी हो जाती है.
- फेयरकॉइन (एफएआईआर) :- ब्लॉकचैन टेक्नोलॉजी का उपयोग एफएआईआर नामक क्रिप्टोकरेंसी में भी किया जाता हैं, जोकि अन्य क्रिप्टोकरेंसी की तरह ही हैं. लेकिन इसकी डिजाइन सामाजिक रूप से रचनात्मक है. इसमें कॉइन को सत्यापित करने के लिए प्रूफ -ऑफ़ कोऑपरेशन का उपयोग किया जाता है.
- डैश (डीएएसएच) :- यह दो शब्दों को मिलाकर बनाया गया हैं वह है डिजिटल एवं कैश. यह क्रिप्टोकरेंसी सबसे ज्यादा प्रसिद्ध क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन की तुलना में ज्यादा अच्छी विशेषताओं के साथ शुरू की गई है. इसमें सुरक्षा को अन्य क्रिप्टोकरेंसी की तुलना में ज्यादा महत्व दिया जाता है. इसमें इस तरह की टेक्नोलॉजी एवं एल्गोरिथम का उपयोग किया जाता है जिससे इसमें जुड़ने वाले लोग स्वयं की माइनिंग कर सकते हैं.
- पीयरकॉइन (पीपीसी) :- पीयरकॉइन नामक क्रिप्टोकरेंसी अपने नाम के अनुसार पीयर – टू – पीयर क्रिप्टोकरेंसी की तरह ही हैं. इसमें जिस अल्गोरिथम का उपयोग किया जाता हैं वह हैं एसएचए-256, और इसमें लेनदेन करने के लिए या फिर माइनिंग प्रक्रिया के लिए ज्यादा पॉवर की आवश्यकता नहीं होती है.
- रिप्पल (एक्सआरपी) :- इस क्रिप्टोकरेंसी को सन 2012 में लाया गया था, जोकि डिस्ट्रिब्यूटेड ओपन सोर्स प्रोटोकॉल पर आधारित है. इसकी आज की कीमत लगभग 10 मिलियन डॉलर तक की हैं.
- मोनेरो (एक्सएमआर) :- यह क्रिप्टोकरेंसी का अंतिम प्रकार हैं जोकि सन 2014 में शुरू किया गया था. यह सभी तरह की प्रणाली पर कार्य करती हैं. और साथ ही बिटकॉइन की तरह ही हैं. इस क्रिप्टोकरेंसी में कंस्यूमर – लेवल सीपीयू’स का प्रयोग किया जाता हैं.
बिटकॉइन की उत्पत्ति कैसे हुई (What is Bitcoin ?)
बिटकॉइन के बारे में हम पहले ही बता चुके हैं, कि यह होती क्या है, लेकिन इस क्रिप्टोकरेंसी के साथ क्रिप्टोकरेंसी शब्द की उत्पत्ति हुई है. इसलिए बिटकॉइन क्रिप्टोकरेंसी को सबसे प्रसिद्ध क्रिप्टोकरेंसी की सूची में पहले नंबर पर रखा गया है. इसकी शुरुआत करने वाले सातोशी नकामोटो कौन हैं, इसके बारे में किसी को भी कोई जानकारी नहीं हैं, यहां तक कि इनके बारे में यह भी जानकारी नहीं है, कि ये कोई पुरुष हैं, या महिला हैं या फिर कोई समूह हैं. इनके द्वारा केवल ईमेल के माध्यम से ही बात की गई है. साल 2009 में हैली फनी नाम के एक कोडर को पहली बार 10 बिटकॉइन के रूप में लेनदेन किया गया था. इसके बाद साल 2011 में सातोशी नकामोटो चले गए, किन्तु उनके द्वारा शुरू की गई, यह बिटकॉइन क्रिप्टोकरेंसी यूजर्स के बीच काफी अधिक लोकप्रिय हो गई. उस दौरान एक बिटकॉइन की कीमत एक डॉलर के बराबर थी, किन्तु 6 साल बाद ही इसकी कीमत 20 हजार अमेरिकी डॉलर हो गई. और आज की बात करें तो इसकी कीमत 13 लाख रूपये के बराबर तक पहुँच चुकी हैं.
ब्लॉकचैन क्या है और कैसे कार्य करती है (What is Blockchain ?)
ब्लॉकचैन डिस्ट्रिब्यूटेड लेडर टेक्नोलॉजी (डीएलटी) का उपयोग करती हैं ताकि सिस्टम से तीसरे पक्ष को हटाया जा सकें. इसका मतलब यह है कि जिस तरह से जब हम किसी के साथ लेनदेन करते हैं तो बीच में कुछ न कुछ 3rd पार्टी होती हैं जो इस लेनदेन को पूरा करने में सहायक होती हैं लेकिन इसमें ऐसा नहीं होता हैं. क्रिप्टोकरेंसी के लेनदेन में जिस टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जाता हैं, वह एक शेयर किया हुआ डेटाबेस होता हैं, जहाँ लेनदेन की जानकारी दर्ज की जाती है. यह टेक्नोलॉजी को ब्लॉकचैन टेक्नोलॉजी कहा जाता है. दरअसल ब्लॉकचैन हर लेनदेन का एक डेटाबेस हैं इसमें जो लेनदेन किये जाते हैं उसकी जानकारी ब्लॉक के रूप में होती हैं और फिर ये ब्लॉक्स एक – एक करके डेटाबेस के साथ जुड़कर एक लंबी श्रंखला बना देते हैं. यही ब्लॉकचैन होती हैं.
ब्लॉकचैन में एक बार जानकारी चली गई उसके बाद इसे हटाया या बदला नहीं जा सकता हैं. और न ही इसे हर कोई देख सकता है. पूरे डेटाबेस को हजारों कंप्यूटर्स के नेटवर्क पर स्टोर किया जाता हैं जिसे नोड्स कहते हैं. कोई भी नई जानकारी ब्लॉकचैन में तब जोड़ी जाती हैं जब आधे से अधिक नोड्स इस बात से सहमत होते हैं की यह पूरी तरह से वैध हैं और सही भी है.
क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित कुछ जानकारी (Cryptocurrency Related Some Information)
क्रिप्टोकरेंसी को समझने से पहले आप नीचे दिए हुए कुछ बिन्दुओं पर नजर डालिए –
- डिजिटल :- क्रिप्टोकरेंसी को हम देख नहीं सकते हैं, क्योंकि यह कंप्यूटर पर होती हैं न कि सजीवन, इसलिए यह डिजिटल करेंसी हैं.
- डीसेंट्रलाइज्ड :- क्रिप्टोकरेंसी के पास एक सेंट्रल कंप्यूटर या सर्वर नहीं है, उन्हें आमतौर पर हजारों कंप्यूटर्स के नेटवर्क पर वितरित किया जाता है. एक बिना सेंट्रल सर्वर नेटवर्क को डीसेंट्रलाइज्ड नेटवर्क्स कहा जाता है.
- पीयर-टू-पीयर :- क्रिप्टोकरेंसी को एक व्यक्ति के पास से दुसरे व्यक्ति को ऑनलाइन पास किया जाता है. इसमें यूजर्स बैंक या पेइंग सिस्टम या फिर फेसबुक के मध्यम से एक दूसरे के साथ इंटरैक्ट नहीं करते हैं. यानि इसमें कोई भी तीसरा पक्ष नहीं होता हैं. बल्कि इसमें सीधे एक – दूसरे के साथ पारस्परिक व्यवहार होता है, और इसे ही पीयर-टू-पीयर कहा जाता है.
- सूडोनिमस :- इसका मतलब यह होता है कि आपको क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग करने के लिए कोई व्यक्तिगत जानकारी भी नहीं दी जाती हैं और न ही देनी पड़ती हैं. इसका उपयोग करने वाले के लिए कोई भी नियम निर्धारित नहीं किये गये हैं.
- विश्वसनीय :- इसमें कोई भी तीसरे पक्ष पर भरोसा नहीं करना होता हैं इसमें धन और सूचना का पूर्ण नियंत्रण हर समय यूजर्स के हाथ में रहता है.
- एन्क्रिप्टेड :- प्रत्येक यूजर्स के पास एक विशेष कोड होते हैं ताकि उनकी जानकारी को अन्य यूजर्स द्वारा एक्सेस न किया जा सके. इसे क्रिप्टोग्राफी कहा जाता हैं. और इसे हैक करना भी लगभग असंभव ही है. जब जानकारी क्रिप्टोग्राफी के साथ छिपी होती हैं, तो इसे एन्क्रिप्टेड किया जाता है.
- ग्लोबल :- सभी देशों की अपनी एक करेंसी होती हैं जिसे फ़िएट करेंसी कहा जाता है, दुनिया भर में फ़िएट करेंसी का उपयोग करना काफी मुश्किल काम है. इसलिए इसके स्थान पर आप यदि क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग करते हैं तो यह काम बहुत आसानी से हो जायेगा.
क्रिप्टोकरेंसी को कैसे ख़रीदा जा सकता है ? (How to Buy Cryptocurrency ?)
यह तो हमने आपको बता दिया है कि आप सभी तरह की क्रिप्टोकरेंसी के साथ भुगतान कर सकते हैं. लेकिन यदि आप किसी प्रकार की क्रिप्टोकरेंसी को खरीदने का मन बना रहे हैं, तो उसके लिए आपको एक वॉलेट की आवश्यकता होगी, जोकि एक ऑनलाइन एप हैं जो आपकी करेंसी को होल्ड कर सकता है. आम तौर पर कुछ क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग एक्सचेंज होते हैं जिस पर एक खाता बनाया जाता हैं इसी खाते में आप कुछ वास्तविक पैसे जमा कर क्रिप्टोकरेंसी को खरीद सकते हैं. क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग एक्सचेंज में कुछ बहुत ही प्रसिद्ध हैं उनमें से एक कॉइनबेस है, यहाँ आप एक वॉलेट बना सकते हैं और कोई भी क्रिप्टोकरेंसी की खरीद और बिक्री की जा सकती हैं. इसके अलावा, ऑनलाइन ब्रोकर रोबिनहुड मुफ्त में क्रिप्टोकरेंसी ट्रेड्स की पेशकश करता है. रोबिनहुड क्रिप्टो अधिकांश जगह पर उपलब्ध हैं, लेकिन सभी जगह नहीं जैसे यह यूएस राज्यों में उपलब्ध नहीं है.
क्रिप्टोकरेंसी लोकप्रिय क्यों है ? (Why is Cryptocurrency Popular ?)
कई कारणों से क्रिप्टोकरेंसी अपने समर्थकों के बीच लोकप्रिय हैं इनमें से कुछ के बारे में जानकारी हम यहां दे रहे हैं –
- ऐसे लोग जोकि बिटकॉइन क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग करते हैं या जिन्होंने किया हैं, इसे भविष्य की एक मुख्य करेंसी के रूप में देखते हैं. और उन्हें खरीदने के लिए उनके प्रतिस्पर्धियों के बीच दौड़ लगी हुई होती हैं कि उनसे पहले वे अधिक मूल्यवान हो जाएँ.
- कुछ समर्थक इस कारण से इसे पसंद करते हैं कि क्रिप्टोकरेंसी पैसों की आपूर्ति के मैनेजमेंट को हटा सकती है. क्योंकि समय के साथ यह बैंक मुद्रास्फीति के माध्यम से पैसों की वैल्यू को कम कर देगी.
- तो कुछ अन्य समर्थक क्रिप्टोकरेंसी की टेक्नोलॉजी यानि ब्लॉकचैन को पसंद कर रहे हैं. क्योंकि यह एक डिसेंट्रलाइज्ड प्रोसेसिंग और रिकॉर्डिंग सिस्टम है, और यह परिवारिक भुगतान प्रणाली की तुलना में अधिक सुरक्षित भी हो सकती हैं.
- क्रिप्टोकरेंसी कुछ सट्टेबाजों को भी पसंद आ रही है. क्योंकि यह मूल्य में ऊपर जा रही है और उन्हें पैसों को स्थानांतरित करने के लिए करेंसी की लॉन्ग टर्म स्वीकृति में कोई दिलचस्पी नहीं है.
क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग (Cryptocurrecy Trading)
क्रिप्टोकरेंसी खरीदना और बेचना बहुत बड़ा व्यवसाय बन गया है. दुनिया में सभी क्रिप्टोकरेंसी का कुल मूल्य 350 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक है. और अब तक 17 बिलियन अमेरिकी डॉलर के मूल्य के क्रिप्टोकरेंसी को खरीदा और बेचा गया है. आप क्रिप्टो एक्सचेंज जैसे बिनांस, बिटस्टाम्प और कॉइनबेस के साथ ऑनलाइन व्यापार कर सकते हैं. आप लोकलबिटकॉइन.कॉम जैसी पीयर-टू-पीयर साईट के साथ एक व्यक्ति के रूप में क्रिप्टोकरेंसी का व्यापार करने की व्यवस्था भी कर सकते हैं.
एक क्रिप्टोकरेंसी बाजार एक ऐसी जगह हैं जहाँ व्यापारी लाखों कमा भी सकते हैं, या फिर खो भी सकते हैं. यह रातोंरात बनाई जा सकती हैं और तेजी से गायब भी हो जाती है. किसी भी नौसिखिया व्यापारी के लिए आवश्यक हैं कि वे इस चीज का ध्यान रखें कि वे केवल उतना ही खर्च करें, जितना वे खो सकते हैं. अतः क्रिप्टो ट्रेडिंग को इस तकनीक को समर्थन करने के रूप में उपयोग किया जाना चाहिए न कि तुरंत ही अमीर होने के लिए.
क्रिप्टोकरेंसी के फायदे (Cryptocurrecy Benefits)
- क्रिप्टोकरेंसी में जो भी लेनदेन किया जाता हैं वह सब कुछ ऑनलाइन मोड में होता हैं, साथ ही इसमें सुरक्षा बहुत मजबूत ही होती हैं, क्योंकि इसमें जिस तकनीक का उपयोग किया जाता हैं, वह विशेष प्रकार की सिक्यूरिटी वाली तकनीक होती हैं, इसलिए इसमें धोखाधड़ी की संभावनाएं बहुत ही कम होती है. और न ही कोई व्यक्ति इसे हैक कर पाता हैं.
- क्रिप्टोकरेंसी के माध्यम से किया जाने वाला लेनदेन और आप जो नॉर्मल लेनदेन करते हैं दोनों में अंतर होता हैं, क्योंकि क्रिप्टोकरेंसी में किया जाने वाला लेनदेन बहुत ही कड़ी निगरानी में एवं सुरक्षित तरीके से किया जाता हैं.
- आपके द्वारा क्रेडिट कार्ड से भुगतान किये जाने पर प्रत्येक भुगतान पर आपको अतिरिक्त चार्ज अधिक देना पड़ता हैं, लेकिन क्रिप्टोकरेंसी इसके लिए लाभकारी होगी, क्योंकि इससे एक तो आप अधिक मात्रा में किसी को भुगतान कर रहे हैं तो वह भी हो जायेगा और साथ ही इसमें लेनदेन का चार्ज भी क्रेडिट कार्ड की तुलना में बहुत कम होता है.
इन्हीं सब फायदों के कारण क्रिप्टोकरेंसी आज के समय में लोगों के लिए बहुत ही अच्छा विकल्प बनी हुई हैं.
क्रिप्टोकरेंसी से नुकसान (Cryptocurrecy Drawbacks)
किसी भी चीज की जहां खासियत होती हैं तो वहां इसमें कुछ कमी भी जरुर होती हैं, ठीक ऐसा ही क्रिप्टोकरेंसी में भी हैं. जी हां क्रिप्टोकरेंसी के फायदे तो हैं ही लेकिन अभी इसमें कुछ कमियां भी हैं जैसे –
- क्रिप्टोकरेंसी में अभी एक कमी यह हैं कि इसमें अभी ऐसी तकनीक नहीं आई हैं कि यदि आपसे किसी कारण से गलती से किसी को भुगतान हो जाता हैं तो आप इसे वापस नहीं ले सकते हैं.
- सबसे बड़ी कमी जो क्रिप्टोकरेंसी में हैं वह हैं वॉलेट आईडी का दोबारा न मिलना. यानि कि एक बार यदि आपने अपनी वॉलेट की आईडी खो दी, तो फिर आप क्रिप्टोकरेंसी अकाउंट को भूल ही जाइये क्योंकि यह दोबारा कभी नहीं मिल सकती हैं. और साथ ही वॉलेट आईडी खो जाने के बाद आप उसमें से आपके बचे हुए पैसे भी कभी नहीं निकाल पाएंगे. अतः आप उसे हमेशा के लिए खो देंगे.
क्या क्रिप्टोकरेंसी कानूनी रूप से सही है ? (Are Cryptocurrecies legal ?)
इस सवाल का जवाब हर देश का अपना अलग – अलग हो सकता है, क्योंकि दुनिया में बहुत से देशों में क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग किया जा रहा हैं, जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका आदि. किन्तु फिर भी कुछ देशों में यह पूरी तरह से प्रतिबंधित हैं जिसमें चीन का नाम शामिल हैं. आपको बता दें कि चीन के साथ – साथ यह हमारे भारत देश में भी पूरी तरह से प्रतिबंधित है.
क्रिप्टोकरेंसी से होने वाले नुकसान से अपनी रक्षा कैसे करें ? (How do i Protect Myself From Cryptocurrency’s Drawbacks ?)
क्रिप्टोकरेंसी से होने वाले नुकसान से बचने के लिए आपको नीचे कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है –
- सर्वप्रथम आप यह देखें कि कंपनी किसके नाम पर हैं? यदि जिसके नाम पर यह कंपनी हैं वह एक योग्य एवं प्रसिद्ध संगठन या व्यक्ति हैं, तो यह आपके लिए एक सकारात्मक संकेत होगा.
- इसी तरह से यदि इसमें निवेश करने वाले व्यक्ति या संगठन भी प्रमुख होते हैं, यह भी आपके लिए एक अच्छा संकेत होगा.
- आपकी हिस्सेदारी किस – किस में हैं यह भी ध्यान रखना होगा. इसका मतलब यह हैं कि आपका हिस्सा कंपनी में हैं या सिर्फ मुद्रा में हैं या फिर टोकन में हैं. इसका ख्याल रखना आवश्यक हैं. यदि आप कंपनी में पार्टनरशिप में है तो इससे आपको आपके शेयर के अनुसार पैसा मिलेगा, यदि आप मुद्रा में पार्टनरशिप में हैं तो आप उसकी कमाई में हिस्सा ले सकते हैं. लेकिन यदि आप टोकन खरीदते हैं तो आप उसका उपयोग करने के हकदार होंगे, जैसे कि कैसिनो में चिप्स.
- आपको अंत में इसका भी ख्याल रखना होगा कि मुद्रा पहले से विकसित हैं या कंपनी इसे विकसित करने के लिए पैसे इकठ्ठा करना चाह रही हैं.
आज हर कोई इस करेंसी को लेने के पीछे भाग रहा हैं. लेकिन यह जरूरी नहीं है कि यह करेंसी सफल ही होगी. इसमें चोरी के जोखिम होने की भी कुछ संभावनाएं होती हैं, क्योंकि हैकर्स हमेशा इस कोशिश में रहते हैं कि वे किसी तरह से आपके उस कंप्यूटर नेटवर्क को हैक करें और आपकी सम्पत्ति को अपने नाम कर लें. अतः इस क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग करने में सफलता मिल सकती हैं, इसलिए आप केवल इसके उपयोग करते समय सभी चीजों पर ध्यान दें.
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