(2023)खुद का बिज़नेस शुरू करने से पहले ध्यान रखने वाली कुछ बातें

अपना खुद का बिज़नेस शुरू करने से पहले इन बातों का ध्यान जरूर रखें (Things you must do before starting a business in Hindi)

कोई भी व्यक्ति जब यह मन बना लेता हैं, कि उसे अब व्यापार करना है, तो उसके साथ ही उसके मन में सबसे पहले यह सवाल उठता हैं, कि एक व्यवसाय को शुरू करने से पहले उसे क्या – क्या करना होगा, किस तरह से वह व्यवसाय शुरू कर सकता हैं, किन – किन चीजों की आवश्यकता होगी आदि इसी तरह के सवाल उसके मन में अक्सर उठते रहते हैं. तो यदि आप भी उन्हीं व्यक्तियों में से एक हैं, तो आपको इसकी चिंता करने की आवश्यकता नहीं है, हम इस आर्टिकल की माध्यम से आपको यह बतायेंगे, की आप एक व्यवसाय को जब शुरू करने जायेंगे तो उससे पहले आपको क्या करना होगा और साथ ही आपके सवालों के जवाब भी देंगे||

Things before starting business

Table of Contents

एक व्यवसाय को शुरू करने के फायदे (Benefits)

एक बिज़नस को स्टार्ट करना एक प्रेरणादायी युक्ति हैं, विशेष रूप से जब कोई यह पहली बार करता है. या जो अपने 8 से 9 घंटे के ऑफिस काम से आजादी चाहते हैं, यह उन्हें प्रोत्साहित भी करता हैं. इसमें वे अपने अनुसार कभी भी अपना व्यापार कर सकते हैं. इसमें उनका कोई बॉस नहीं होता, जिसे उन्हें हर रोज रिपोर्ट करना पड़े. साथ ही इसमें उन्हें प्रॉफिट कितना भी मिल सकता हैं, इसकी कोई निश्चित सीमा भी नहीं होती हैं.   

एक व्यवसाय शुरू करने से पहले करने वाली कुछ चीजें

यहाँ हम आपको कुछ ऐसी चीजों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो आपको व्यवसाय की दुनिया में कदम रखने से पहले करनी आवश्यक है. यह नीचे बिन्दुओं के आधार पर दर्शायी गई है.

व्यवसाय का नेचर (Type of Business) :-

सबसे पहले आपको यह निश्चिय करना होगा, कि आप क्या एवं किस तरह का व्यवसाय करने के बारे में सोच रहे हैं. एवं आप अपने व्यवसाय में क्या बेचने जा रहे हैं. इसके लिए आपके पास 3 विकल्प दिए हुए होंगे सर्विस, मर्चेंडाइजिंग या फिर मैन्युफैक्चरिंग. आपको अपने व्यवसाय को शुरू करने के लिए इनमें से किसी एक केटेगरी का चुनाव करना होगा.

सर्विस (Service) :-

इसमें आप अपना समय एवं विशेषज्ञता बेचते हैं, जैसे कि पेशेवर इवेंट आर्गेनाइजर, आईटी, मार्केटिंग आदि के काम होते हैं, या रेस्तौरेंट, भोजन, कियोस्क, ट्रांसपोर्टेशन, सैलून, स्पा आदि भी हो सकते हैं.

मर्चेंडाइजिंग (Merchandising) :-

इसमें आप एक रिटेल, होलसेल, ट्रेडिंग या डिस्ट्रीब्यूशन जैसे व्यवसाय चुन सकते हैं. जिसमें वस्तुओं या सामानों को बेचा और खरीदा जाता हैं. उदाहरण के लिए ग्रोसरी और डिपार्टमेंट स्टोर्स, रेटल आउटलेट्स, ऑनलाइन रिसेलर्स आदि.

मैन्युफैक्चरिंग (Manufacturing) :-

यह कच्चा माल और कर्मचारियों दोनों के साथ मिलकर कुछ उपकरण का उपयोग करके इसे फिर बेचने योग्य उत्पाद बनाये जाने वाले व्यवसाय होते हैं. उदाहरण के लिए कार, गैजेट्स, क्लोथिंग, बैग्स और डेली एसेंशियल आदि.

टारगेट कस्टमर (Target Customer) :-

अब आपके पास देने के लिए प्रोडक्ट या सर्विस हैं, जिसकी मदद से आपको लाभ प्राप्त हो सकता हैं. उसमें जब तक आपके पास ग्राहक नहीं होंगे, वे आपके प्रोडक्ट्स या सर्विस को नहीं खरीदेंगे एवं उसका उपयोग नहीं करेंगे, तब तक यह संभव नहीं है. यदि आप एक तरह का व्यवसाय शुरू करने की योजना बना रहे हैं, तो आपको उसे बेचने से पहले ये पता होना चाहिए, कि आप क्या बेच रहे हो. यदि इसका बाजार अच्छा है, तो इसके बारे में स्टडी करें. इसके साथ ही यह भी याद रखें, कि एक प्रोडक्ट या सर्विस सभी के लिए एक प्रोडक्ट और सर्विस होती है. 

लोकेशन (Location):-

कई सारे व्यवसाय के इवेंट्स में यह सलाह दी जाती थी, कि आपके व्यवसाय के लिए सबसे जरुरी चीज है स्थान. इसलिए आप भी अपने व्यवसाय के लिए सबसे अच्छी जगह को पहचाने और देखें. यह आपके लक्षित ग्राहकों की संख्या को बढ़ाता हैं और आस-पास के लोग भी इसमें उनका साथ देते हैं. 

लीज, मरम्मत और सुधार :-

यदि आप किराये पर जगह लेते हैं, तो उसके लिये आपको किराया देना होता हैं. इसके लिए जोकि उस जगह के मालिक होते हैं, उन्हें आपको एडवांस रेंट और सुरक्षा जमा करने की आवश्यकता होती है. यह मासिक आधार पर 3 से 6 महीने में बराबर हो सकती है. इसके साथ ही जब आप रेंट पर कोई जगह लेते हैं, तो इसका मतलब यह नहीं होता हैं, कि आपको सब कुछ आपके हिसाब से मिला है, आपको उस जगह को अपने अनुसार बनाने में खर्च करना होगा. क्योकि आम तौर पर जो किराये की जगह होती हैं, उसमें कुछ मरम्मत एवं उसमें कुछ सुधार करना पड़ता है. यदि आपको भी इस तरह के जगह की जरुरत है, तो आप अपने व्यवसाय की लागत में इसे ऐड करें, तो बेहतर होगा.

फार्मेशन :-

एक बार आपने यह निश्चय कर लिया कि आपको क्या बेचना हैं किसे बेचना हैं और कहाँ बेचना हैं तो इसके बाद बारी आती हैं कि आप उस व्यवसाय को कैसे करेंगे. इसके लिए आप पूर्ण स्वामित्व, पार्टनरशिप या कारपोरेशन में से एक का चुनाव कर सकते हैं.

पूर्ण स्वामित्व :-

इसका मतलब यह होता हैं कि आपका जो व्यवसाय होगा उसके मालिक केवल आप ही होंगे.

पार्टनरशिप :-

इसमें आप अपने व्यवसाय को किसी और व्यक्ति के साथ साझा करते हैं, जोकि आपका पार्टनर हो सकता है. इसके लिए आपको कम से कम 2 व्यक्तियों की आवश्यकता होगी.

कारपोरेशन :-

इसमें भी आप अपने व्यवसाय को किसी और व्यक्ति के साथ साझा करते हैं जोकि एक स्टॉकहोल्डर होगा. कारपोरेशन के लिए आपको कम से कम 5 लोगों की आवश्यकता होती हैं.

कैपिटल (Capital investment) :-

कैपिटल वह पूँजी या वैल्यू होती है, जोकि आपके व्यवसाय को शुरू करने और उसे चलाने में लगाई जाती है. यह नगद या नॉन – कैश दोनों में से कोई भी हो सकती है. यह जानने के लिए कि आपको कितने कैपिटल की आवश्यकता है इसके लिए आप पहले एक सूची तैयार करें कि आपको एक व्यवसाय को शुरू करने एवं चलाने के लिए किस – किस चीज में पैसे को खर्च करना होगा. इस सूची में एसेट्स को खरीदना, मरम्मत, लीज पेमेंट इसके साथ ही व्यवसाय के संचालन के लिए कुछ अन्य खर्च आदि भी शामिल हो सकते है.   

प्रॉपर बीमा प्राप्त करें :-

किसी भी व्यवसाय को करने के लिए बीमा भी बहुत आवश्यक होता है. इसलिए आप अपने व्यवसाय के लिए बीमा आवश्यक प्राप्त कर लें. ताकि आपको बाद में परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा.

एसेट की आवश्यकता :-

एक व्यवसाय को शुरू करने के लिए ऐसे एसेट्स की योजना बनाएं जिसकी आवश्यकता आपको व्यवसाय को चलाने में पड़ेगी. इसके लिए कुछ उदाहरण कंप्यूटर, उपकरण, फर्नीचर, वाहन आदि हो सकते हैं इसके लिए आप केवल उत्पाद ही नहीं बल्कि यह भी निर्धारित करें कि आपको वह कितना चाहिए हैं एवं उसकी कीमत क्या होगी.

सप्लायर्स :-

कुछ पहचाने गए पोटेंशियल सप्लायर्स को आपके द्वारा बेचे जाने वाले सेवा या माल के उत्पादन करने की आवश्यकता होगी. आप उसकी कीमत, लोकेशन, रिलायबिलिटी और संचालन के समय आदि पर भी विचार करें.

व्यवसाय के संचालन में होने वाला खर्च :-

आपको उस सभी की पहले से एक सूची बना लेना आवश्यक है जिसमें आपको अपना व्यवसाय चलाने के लिए खर्चा करना होगा. इसमें आमतौर पर सैलरी, किराया, ऑफिस सप्लाइज एवं यूटिलिटी आदि हो सकते हैं. आपने व्यवसाय की मासिक लागत पर भी विचार करें. यह आपकी कैपिटल आवश्यकताओं के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण चरण है. क्योकि आमतौर पर आपको कम से कम 6 महीने या 1 साल पूँजी के रूप में मासिक खर्च रखना होगा.

व्यक्ति या आउटसोर्स को हायर करना :-

व्यवसाय के मालिक के लिए सबसे कठिन कामों में से एक व्यक्तियों का मैनेजमेंट करना होता है. इसलिए आउटसोर्सिंग की मांग होती है. जब आप व्यवसाय को शुरू करते हैं तो आप इस विकल्प पर अवश्य विचार कर सकते है. यदि आप व्यक्तियों को हायर करने का विचार करते हैं तो आपको उनकी सैलरी और अन्य सरकारी नियमों पर विचार करना होगा, और यदि आप कंपनी के आउटसोर्स पर विचार करते हैं, या विशेषज्ञता और रिलाएबिलिटी पर विचार करते हैं तो आपका आउटसोर्स होगा.   

रजिस्ट्रेशन, लाइसेंस एवं टैक्स आइडेंटिफिकेशन :- 

आपने अपने खर्च एवं कैपिटल की आवश्कताओं की पूँजी पर विचार कर लिया तो उसके बाद आपको अपने व्यवसाय को शुरू करने से पहले अपने व्यवसाय के नाम, निगमन, कागजती कार्यवाही दाखिल करने और स्थानीय नगरपालिका के साथ आवश्यक लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन और टैक्स की जानकारी प्राप्त करने जैसी विभिन्न चीजों की आवश्यकता होगी. इसके लिए कई सारे संसाधन दिए हुए हैं. फ़ेडरल टैक्स मामलों के लिए इंटरनल रिवेन्यू सर्विस (आईआरएस) है इसके अलावा स्थानीय कारपोरेशन कमीशन, देश में प्रत्येक स्थान के लिए रेगुलेटरी आवश्यकताओं को पूरा करने में किसी भी नए व्यवसाय के स्वामी की सहायता कर सकते हैं.

व्यवसाय के लिए एक बैंक खाता :-

आपको अपने व्यवसाय के लिए एक अलग से बैंक खाता खोलना होगा. इससे आपको अपने रिकॉर्ड रखने को आसान बनाने में मदद मिलेगी. और विशेष रूप से यदि आपका व्यवसाय एकल स्वामित्व वाला है तो आपको अपने व्यक्तिगत चीजों को अपने व्यवसाय में मिलाना भी नही होगा. आप ऐसे बैंक का चयन करें जोकि सुलभ और उपलब्ध हो. 

मार्केटिंग एवं प्रतिस्पर्धा :-

आपका व्यवसाय मार्केटिंग के बिना अधूरा है. क्योकि मार्केटिंग उन की – फैक्टर्स में से एक हैं जोकि यह दर्शाता है कि आपका व्यवसाय सफल क्यों हुआ और असफल क्यों है. अतः आप अपने व्यवसाय के लिए सही मार्केटिंग प्लेटफार्म का चयन करें. इसके अलावा थोड़ी प्रतिस्पर्धा होने में कुछ गलत नहीं है. क्योंकि इसी के आधार पर आपको बेहतर उत्पाद या सेवा के साथ बाहर आने का अवसर मिलता है. आपको अपने ग्राहकों को कैसे जीतना है इसके लिए प्रतिस्पर्धा एक महत्वपूर्ण कदम है. आपको अपने प्रतिस्पर्धी एवं उसके व्यवसाय के बारे में सब कुछ पता होना चाहिये. यदि आपको जानकारी नहीं होगी कि आपका प्रतिस्पर्धी किस तरह से आगे बढ़ रहा हैं आपको सफलता नहीं मिल पायेगी. अतः यह जरुरी है कि आप अपने बाजार को जानें, प्रतिस्पर्धा को जानें, और यह भी जानें कि आपकी कंपनी किस तरह से उनसे अलग हो सकती है.  

सरकारी अनुपालन :-

इसके बाद एक जरुरी चीज जोकि अक्सर छूट जाती है, वह है हर महीने, 3 महीने एवं साल में   सरकार को रिपोर्ट देना. अक्सर देखा जाता हैं कि बहुत से व्यवसाय जोकि काफी अधिक सफल हो रहे होते हैं लेकिन यदि वे सरकारी अनुपालन नहीं करते हैं तो बाद में उन्हें कुछ सरकारी जुर्माना जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. सरकारी अनुपालन में कम से कम फाइलिंग, टैक्स का भुगतान और एसएसएस / फिलहेल्थ / पेज – आईबिग योगदान आदि चीजें आती है.

अकाउंटिंग एवं फाइनेंसियल एनालिसिस :-

जब आप अपना व्यवसाय शुरू करते हैं आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि आपके पास रिलाएबल एकाउंटिंग और फाइनेंसियल रिपोर्टिंग प्रोसेस है. व्यवसाय को दूसरे शब्दों में एकाउंटिंग ही कह सकते है. इसलिए यह बहुत जरुरी होती है. यह पता होना चाहिए कि आपके व्यवसाय में क्या हो रहा है. इसके लिए आपके पास रिलाएबल एकाउंटिंग और फाइनेंसियल रिपोर्टिंग सिस्टम होना चाहिए.

तो इस तरह से आप सभी चीजों के बारे में पहले से जानकारी हासिल कर लें और उसके बाद अपने व्यवसाय को शुरू करें ओर उसे संचालित कर लाभ प्राप्त करें.

FAQ

Q : बिना पैसों के साथ में अपना खुद का व्यवसाय कैसे शुरू कर सकते हैं ?

Ans :- बिना पैसों के साथ आप अपना खुद का व्यवसाय करने का सोच रहे हैं तो आपको पहले खुद से यह पूछना होगा कि आप मुफ्त में क्या कर सकते हैं, इसके अलावा आपको कम से कम 6 महीने की बचत करनी होगी. आप अपने दोस्तों या परिवार से अतिरिक्त फण्ड उधार में ले सकते हैं. या फिर आप एक छोटे व्यवसाय लोन के लिए आवेदन भी दे सकते हैं.

Q : पैसे कमाने के लिए कौन सा व्यवसाय सबसे अच्छा है ?

Ans : पैसे कमाने के लिए सभी व्यवसाय अच्छे होते हैं आप किसी भी प्रकार का व्यवसाय कर सकते हैं यह पूरी तरह से आपके ऊपर होता हैं कि आपको किस तरह का व्यवसाय करना है.

Q : अपने व्यवसाय से जल्दी पैसे कैसे कमा सकते हैं ?

Ans : अपने व्यवसाय को शुरू कर जल्दी पैसे कमाने के बारे में सोच रहे हैं तो पहले आप अपने व्यवसाय को बढ़ावा दें. इसकी मार्केटिंग ऑनलाइन एवं ऑफलाइन दोनों जगह करें. आप इसकी एक वेबसाइट भी बना सकते हैं. जितने ज्यादा लोगों को आपके व्यवसाय के बारे में पता होगा उतने ही जल्दी आप पैसे कमा पाएंगे.

Q : भारत में व्यवसाय शुरू करने के लिए लोन कैसे मिल सकता है ?

Ans : भारत सरकार द्वारा व्यवसायियों के लिए प्रधानमंत्री मुद्रा लोन योजना बनाई गई हैं जिसके माध्यम से आप अपने व्यवसाय के लिए बैंक से लोन ले सकते हैं.

Q : क्या छोटे व्यवसाय के लिए भी रजिस्ट्रेशन करना आवश्यक होता हैं ?

Ans : जी हां, व्यवसाय छोटा हो या बड़ा आपको उसका कानूनी रूप से रजिस्ट्रेशन कराना आवश्यक होता हैं क्योकि इससे यह साबित होता हैं कि आप कोई गैरकानूनी काम नहीं कर रहे हैं.

अन्य पढ़े :-