भारत में व्यवसाय के लिए सरकार व बैंक द्वारा दिए जाने वाले लोन व ऋण (Different Types of Small Business loans through bank and Government in India in Hindi)
जब आप कोई व्यवसाय शुरू करते हैं, तो आपको कुछ चीजों की आवश्यकता होती हैं, जैसे कि स्थान, कच्चा माल, मशीनरी, वित्त आदि. लेकिन आपको बता दें कि इनमें से जिस चीज की सबसे पहले जरुरत पड़ती हैं वह है लोन, जी हां जब आपको कोई व्यवसाय शुरू करना होता हैं, तो आपको उसके लिए लोन बैंक या अन्य संसाधनों से लेना पड़ता है. अब बात आती है कि लोन होता क्या हैं, आखिर कौन – कौन से प्रकार के लोन लेकर एक व्यवसाय को शुरू किया जा सकता हैं. तो चलिए आपके सारे सवालों के जवाब हम आपको इस लेख के माध्यम से आप तक पहुँचाते हैं.
लोन क्या है ? (What is Loan)
जब किसी व्यक्ति या कम्पनी को अपने किसी काम के लिए वित्त की आवश्यकता होती है, तो वह बैंक्स, कमर्शियल लेंडर्स या व्यक्तिगत रूप से किसी से उधार में पैसे लेता हैं, जिसे उसे निर्धारित सीमा के अंदर एवं ब्याज के साथ चुकाना पड़ता हैं, तो उसे लोन कहा जाता हैं. लेकिन लोन कई तरह के होते हैं, जोकि इस बात पर निर्भर करते हैं, कि आपको किस उद्देश्य के लिए लोन लेना है. इसके साथ ही आप जिस भी संस्थान से लोन लेते हैं, उसका अपना एक मापदंड होता है, जिस पर आपको खरा उतरना होता हैं और तब आपको लोन प्राप्त होता है.
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लोन या ऋण कितने प्रकार के होते है (Type of Loans)
लोन कई तरह के होते हैं, जिसे आप अपने किसी भी काम के लिए ले सकते हैं. जैसे यदि आप अपने किसी व्यक्तिगत काम के लिए लोन लेते हैं, तो उसे हम व्यक्तिगत लोन (personal loan) कहते हैं, घर बनवाने के लिए लिया गया लोन होम लोन (home loan) होता है, शिक्षा के लिए लिया गया लोन एजुकेशन लोन (education Loan) होता है. इसी तरह से जब आप अपने किसी भी प्रकार के व्यवसाय को शुरू करने के लिए लोन लेते हैं, तो उसे व्यवसाय लोन (Business Loan) कहा जाता है.
व्यवसाय लोन क्या है ? (What is Business Loan ?)
व्यवसाय लोन को बैंक या विभिन्न वित्तीय संस्थानों से प्राप्त किया जाता है. लेकिन आपको बता दें व्यवसाय लोन कई प्रकार के होते हैं, जिसे आप बैंक के अलावा सरकार से भी प्राप्त कर सकते हैं.
व्यवसाय लोन के प्रकार (Types of Business Loan)
व्यवसाय छोटा या बड़ा किसी भी रूप में शुरू किया जाये, आपको कुछ ना कुछ वित्त की आवश्यकता होती ही है, फिर वित्त को आप कहां से प्राप्त कर सकते हैं, यह विचार आपके मन में आ जाता हैं, तो इसके लिए हम आपको बता दें, कि आप निम्न प्रकार के लोन में से किसी भी प्रकार का लोन लेकर अपना व्यवसाय शुरू कर सकते हैं –
सरकार द्वारा प्राप्त होने वाले लोन (Government Loan Schemes for Small Businesses India)
किसी भी नये बिज़नस या स्टार्टअप बिज़नस को शुरू करने के लिए सरकार लोगों की मदद करने के लिए कुछ योजनायें लेकर आती रहती हैं, जिससे उन्हें खुद का व्यवसाय शुरू करने में वित्तीय रूप से सहायता प्राप्त हो सकें. यहाँ कुछ योजनाओं की जानकारी हम दें रहे हैं, जिसके तहत व्यवसायी लोन प्राप्त कर व्यवसाय कर सकते हैं.
- स्टैंडअप इंडिया स्कीम (Standup India Scheme) :- स्टैंडअप इंडिया स्कीम भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक विशेष योजना हैं, जिसके तहत अनुसूचित जाति, जनजाति एवं महिलाओं को वित्तीय रूप से सशक्त बनाने के लिए लोन की सुविधा दी जाती हैं. अनुसूचित जाति, जनजाति एवं महिलाओं के लिए शुरू की गई इस योजना में वे अपना नया मैन्युफैक्चरिंग, ट्रेडिंग या कोई सर्विस यूनिट शुरू करने के लिए सरकार से 10 लाख रूपये से 1 करोड़ रूपये तक की वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए पात्र होते हैं. इस लोन के तौर पर ली हुई राशि को उन्हें लौटाने के लिए 7 साल की समयावधि दी जाती है. इस योजना के माध्यम से सरकार योजना के लाभार्थी लोगों को नया वेंचर स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित एवं उनकी सहायता करती हैं.
- मुद्रा लोन योजना (MUDRA Loan Scheme) :- मुद्रा लोन योजना का पूरा नाम प्रधानमंत्री मुद्रा यानी (माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट एंड रिफाइनेंस एजेंसी लिमिटेड) लोन योजना है, जिसे माइक्रो यूनिट्स और गैर कृषि क्षेत्र में छोटे व्यवसाय के लिए व्यवसाय लोन प्रदान करने के उद्देश्य के साथ शुरू किया गया है. इस योजना में आपको लोन लेने के लिए कोलैटरल की आवश्यकता नहीं पडती है. इस लोन को लाभार्थी कमर्शियल बैंक, आरआरबी, लघु वित्तीय बैंक, सहकारी बैंक, एमएफआई और एनबीएफसी द्वारा प्राप्त कर सकते हैं. इस योजना में शामिल होने वाले लोग 3 श्रेणी (शिशु, किशोर एवं तरुण) के आधार पर लोन की प्राप्ति कर सकते हैं, जोकि उद्यम के विकास और वित्त पोषण की जरूरतों के चरणों को दर्शाते हैं.
- शिशु :- इस श्रेणी में 50 हजार रूपये तक का लोन लाभार्थी प्राप्त कर सकते हैं, जिसे उन्हें 1% ब्याज दर प्रति माह के आधार पर 5 साल के बाद इसका भुगतान करना होता है.
- किशोर :- इस श्रेणी में लाभार्थी 50 हजार से 5 लाख रूपये तक का लोन प्राप्त कर सकता है.
- तरुण :- अंतिम यानि तरुण श्रेणी में लाभार्थी को 5 लाख से 10 लाख रूपये तक का लोन मिलता है.
यदि एक छोटा व्यवसाय शुरू करने के लिए आपको वित्त की आवश्यकता है, तो आप बैंक जाकर व्यवसाय लोन प्राप्त कर सकते हैं, इसके लिए आवेदन प्रक्रिया जानने के लिए यहाँ क्लिक करें.
- क्रेडिट गारंटी फण्ड स्कीम (Credit Guaranty Fund Scheme) :- क्रेडिट गारंटी स्कीम या क्रेडिट गारंटी फण्ड स्कीम भारत सरकार द्वारा शुरू की गई स्कीम हैं, जिसके तहत सूक्ष्म एवं लघु उद्योग शुरू करने वाले लोगों को किसी भी कोलैटरल के बिना लोन की सुविधा प्रदान की जाती है. इस योजना में यदि आपका बिज़नस नया है या पुराना है, दोनों को शामिल किया जाता है. इस योजना के माध्यम से सूक्ष्म एवं पहले जनरेशन के उद्यमों को लघु व्यवसाय लोन सस्ते दामों में प्राप्त होगा. इस योजना में लोन के लिए आवेदन करने वाले आवेदकों की पात्रता एवं उनके व्यवसाय की सफलता को देखते हुए लोन राशि प्रदान की जाती है. इस योजना में भी आवेदक अधिकतम 1 करोड़ रूपये तक का लोन प्राप्त कर सकते हैं. यह योजना सरकार ने स्माल इंडस्ट्रीज डेवलपमेंट बैंक ऑफ़ इंडिया के साथ मिलकर शुरू की है.
- एमएसएमई (MSME Loan) :- एमएसएमई का पूरा नाम माइक्रो स्माल एवं मीडियम इंटरप्रेनुएर्स है, जिसके तहत उद्यमों को सरकार द्वारा लोन की सुविधा दी जाती हैं. इसके लिए लाभार्थी केवल लघु उद्योग ही शुरू कर सकते हैं. साथ ही इसमें पात्र होने वाले सभी उद्यमी 10 लाख रूपये से लेकर 1 करोड़ रूपये तक का लोन प्राप्त कर सकते हैं. और आपको बता दें, कि इसके लिए आवेदन भी ऑनलाइन किया जाता हैं, जिसकी प्रक्रिया केवल 59 मिनिट की है. जी हां 59 मिनिट के अंदर आप एमएसएमई लोन योजना के साथ जुड़कर लोन के लिए आवेदन कर सकते हैं. इस योजना में लोन की वापसी के लिए ब्याज दर 8 प्रतिशत से शुरू की गई हैं. इस योजना में कोलैटरल कवरेज अनिवार्य नहीं है, क्योकि ये लोन माइक्रो, स्माल एवं मीडियम उद्यम योजना के लिए क्रेडिट गारंटी फण्ड ट्रस्ट से जुड़े हैं.
- नाबार्ड (NABARD) :- नाबार्ड यानि नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (नाबार्ड) एक ऐसा विकास बैंक हैं, जोकि मुख्य रूप से कृषि, किसान और कॉटेज को सरकार की ओर से लोन प्रदान करता है. इसे छोटी इंडस्ट्रीज एवं गांव में मौजूद इंडस्ट्री के विकास के उद्देश्य के साथ स्थापित किया गया है. इसमें लाभार्थी मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्र के होते हैं और उन्हें केवल 4.5 % की ब्याज दर के साथ इसे चुकाना होता है.
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सीधे बैंक से प्राप्त होने वाले लोन (Banks offering easy loans to business entrepreneurs)
सीधे बैंक द्वारा जो व्यवसाय के लिए लोन प्रदान किया जाता हैं वह मुख्य रूप से छोटे, मध्यम एवं बड़ी इंडस्ट्रीज जैसे व्यवसायों के लिए दिया जाता हैं, जोकि इस प्रकार हैं –
- बिज़नस टर्म लोन (Term Loan) :- यदि आपको भवन, भूमि, मशीनरी इत्यादि जैसे दीर्घकालिक संपत्ति के लिए पैसे की आवश्यकता हैं, तो आप टर्म लोन के साथ जा सकते हैं. एक टर्म लोन व्यापार वित्तपोषण का एक सामान्य रूप है. इसमें आपको एक नकद राशि प्राप्त होती है, जोकि उधारकर्ता की आवश्यकता और उसकी पात्रता के अनुसार अलग – अलग होती है. इसे आपको पूर्व निर्धारित अवधि में ब्याज के साथ चुकाना होता हैं. टर्म लोन 2 प्रकार के होते हैं, एक सुरक्षित एवं एक असुरक्षित. सुरक्षित टर्म लोन में आपको कोलैटरल देना होता है. जबकि असुरक्षित टर्म लोन में आपको कोई भी कोलैटरल नहीं देना होता है. आमतौर पर टर्म लोन के लिए अधिकतम कार्यकाल 3 साल असुरक्षित टर्म लोन के मामले में और 15 साल सुरक्षित टर्म लोन के मामले में होता है. सुरक्षित टर्म लोन पर ब्याज दर कम होती हैं, जबकि असुरक्षित टर्म लोन में ज्यादा ब्याज दर होती है. इसमें उधार लेने की मात्रा उच्च है, एवं इसमें फ़ास्ट फंडिंग है. इसे आप बिज़नस के विस्तार के लिए देख सकते हैं. यह उन उधारकर्ताओं के लिए सबसे अच्छा है, जिनके पास अच्छा क्रेडिट और एक मजबूत व्यवसाय है और जो फंडिंग के लिए लंबा इन्तजार नहीं करना चाहते हैं.
- वर्किंग कैपिटल लोन (Working Capital Loan) :- वर्किंग कैपिटल वह धन होता हैं जो आपको अपने मासिक बिजली बिलों की तरह दिन – प्रतिदिन के व्यवसायिक खर्चों को पूरा करने के लिए चाहिए होता है. आपकी सभी ऑपरेशनल लागतें वर्किंग कैपिटल के अंतर्गत आती हैं और कुछ लोन आपकी वर्किंग कैपिटल की जरूरतों के तहत तैयार किये जाते हैं. आप 30 लाख रूपये तक का वर्किंग कैपिटल लोन प्राप्त कर सकते हैं. इसमें लोन आमतौर पर 6 से 12 महीने के कार्यकाल के लिए पेश किया जाता है, और इसमें ब्याज की दर 12 % से 16 % तक होती हैं. ये सुरक्षित या असुरक्षित दोनों हो सकते हैं. इसमें निर्माता, सेवा प्रदाता, खुदरा विक्रेता या थोक व्यापारी या आयत निर्यात में लगे व्यापारी वर्किंग कैपिटल लोन के लिए आवेदन कर सकते हैं.
- मशीनरी या उपकरण लोन (Machinery or Equipment Laon) :- इस प्रकार के लोन मुख्य रूप से मैन्युफैक्चरिंग व्यवसायों के लिए होते हैं, जिसमें आपको उपकरण एवं मशीनरी खरीदने के लिए पैसे की आवश्यकता होती है. क्योंकि यह बाजार में अधिक कीमत में उपलब्ध होते हैं. इन उपकरणों या मशीनों की खरीद के लिए एवं इसकी आवश्यकता को पूरा करने के लिए अधिकांश बैंकों के पास विशेष लोन उत्पाद हैं, और यह 25 करोड़ रूपये की ऊपरी सीमा पर होते हैं. हालांकि कुछ बैंकों को 100 करोड़ रूपये से अधिक के लिए उपकरण एवं मशीनरी वित्तपोषण उत्पादों के लिए जाना जाता है. इस लोन के लिए एक निश्चित कार्यकाल भी निर्धारित किया जाता है, और यह 4 से 5 वर्षों की अवधि का हो सकता है. इसमें टर्म डिपाजिट की तुलना में ब्याज की दरें कम हो सकती है. एवं उपकरण या मशीनरी आमतौर पर कुछ अतिरिक्त सुरक्षा के साथ कोलैटरल के रूप में लिया जा सकता है.
- इनवॉइस फाइनेंसिंग (Invoice Financing) :- कैपिटल को बढ़ाने के लिए इनवॉइस यानि चालान की छूट एवं वित्तपोषण एक शक्तिशाली उपकरण है. यह छोटे व्यवसायों के लिए वर्किंग कैपिटल खोजने का एक शानदान तरीका प्रदान कर सकता है. जब कोई व्यवसाय चालान उठाता है और जब अंत में भुगतान किया जाता है, तो इसके बीच में अक्सर एक समय अंतराल आता है. ऐसी स्थिति में आप चालान के खिलाफ लोन प्रदान करने के लिए किसी एक बैंक या किसी एक वित्तीय संस्थान से संपर्क कर सकते हैं. चालान राशि का लगभग 80 % लोन के रूप में दिया जाता है, और शेष प्रतिशत तब मिलता है, जब ग्राहक द्वारा पूर्ण रूप से चालान का भुगतान किया जाता है. लोन देने वाला इस राशि से प्रोसेसिंग फीस और ब्याज में कटौती करता है, जोकि आमतौर पर बहुत कम होती है.
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अन्य व्यवसाय लोन (Some Other Business Loan through Bnak)
बैंक द्वारा कुछ अलग तरह के लोन की सुविधा भी दी जाती हैं, जोकि अलग तरह के व्यवसाय के लिए आवश्यक हो सकती हैं, जिसके बारे में जानकारी निम्न प्रकार से हैं –
- ओवरड्राफ्ट (Overdraft) :- ओवरड्राफ्ट बैंक द्वारा दी जाने वाली वह सुविधा हैं, जब आपके चालू खाते या बचत खाते में पैसे नहीं होते हैं, यानि ख़त्म हो जाते हैं लेकिन आपको पैसों की आवश्यकता होती हैं, तो बैंक आपको आपकी जमा राशि से अधिक पैसे निकालने की अनुमति देता है. हालाँकि इसके लिए आपको कोलैटरल देने की आवश्यकता होगी. इसलिए इसे एक तरह का अल्प अवधि लोन भी कहा जाता है. क्योकि इसमें ग्राहकों को पैसे निश्चित सीमा एवं निश्चित ब्याज दर के साथ बैंक को लौटने भी होते हैं. इसमें ब्याज केवल उस राशि पर लगता हैं, जितना आपने बैंक से अपने जमा पैसों से अतिरिक्त पैसा लिया हैं.
- पेशेवर लोन (Professional Loan) :- पेशेवर लोन मुख्य रूप से स्व – नियोजित पेशेवरों जैसे कि डॉक्टर्स, चार्टर्ड अकाउंटेंट एवं वकीलों के व्यक्तिगत क्रेडिट हिस्ट्री पर आधारित होता हैं. यह हर बैंक के लिए अलग – अलग हो सकता है, कि वे उस व्यक्ति को कितना लोन दे सकते हैं, जोकि इस बात पर निर्भर करता हैं, कि उस व्यक्ति के बैंक के साथ कैसे संबंध हैं. यह आमतौर पर व्यक्तिगत तालमेल के आधार पर बढ़ता है, और कई उदहारणों में बैंक या वित्तीय संस्थानें गैर – कृषि भूमि, राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्र, सरकारी बांड, बैंक के टर्म डिपाजिट एवं जीवन बीमा पालिसी के असाइनमेंट आदि के लिए कोलैटरल लेकर उन्हें लोन प्रदान करती हैं. हालाँकि यह कोलैटरल उन्हें लोन की बड़ी राशि लगभग 15 से 20 लाख रूपये देने पर लिया जाता है.
- लाइन ऑफ़ क्रेडिट (Line of Credit) :- लाइन ऑफ़ क्रेडिट सबसे लोकप्रिय वर्किंग कैपिटल लोन में से एक है, जिसे क्रेडिट इंस्ट्रूमेंट भी कहा जाता है. यह बैंक, वित्तीय संस्थान एवं एनबीएफसी द्वारा व्यक्तियों, व्यवसायों, उद्यमों एवं सरकार को दिया जाता है. क्रेडिट लाइन उधारकर्ताओं को दी जाने वाली एक लोन क्रेडिट है, जिसमें वे अपनी आवश्यकताओं के अनुसार कुल स्वीकृत लाइन से भी छोटी राशि का उपयोग कर सकते हैं. लोन राशि को पूर्ण रूप से लेना अनिवार्य नहीं होता है, जैसे कि अन्य लोन लेने पर होता है. उद्यमों एवं उपभोक्ताओं को केवल उधार ली हुई राशि का ही भुगतान करना होता हैं. यह एक स्थायी लोन व्यवस्था की तरह है जो एक व्यवसाय के मालिक के पास अपने बैंक या उधार देने वाली कंपनी के पास होती है.
- लैटर ऑफ़ क्रेडिट (Letter of Credit) :- लैटर ऑफ़ क्रेडिट अंतर्राष्ट्रीय व्यवसाय में प्रमुख रूप से उपयोग किया जाने वाला एक भुगतान का साधन है, जिसमें एक बैंक उन उद्यमों को मोनेटरी गारंटी प्रदान करता है जो माल के आयात और निर्यात की डील करते हैं. अर्थात एक बैंक विक्रेता को एक पत्र प्रदान करता है, जो उसे यह गारंटी देता है कि खरीददार को भुगतान सही समय पर विक्रेता द्वारा प्राप्त होगा. यह आयात और निर्यात दोनों ही उद्देश्य के लिए उपयोग किया जाता है. विदेशों में कारोबार करने वाले उद्यमों को अज्ञात सप्लायरों से डील करना पड़ता है, और उन्हें किसी भी लेनदेन को करने से पहले भुगतान के आश्वासन की आवश्यकता होती हैं. इसलिए सप्लायर्स या निर्यातकों को भुगतान आश्वासन प्रदान करने के लिए लैटर ऑफ़ क्रेडिट महत्वपूर्ण होता हैं. हालांकि इसमें आपको उधार देने वाले व्यक्ति के पास इन्वेंटरी और कैपिटल एसेट्स को गिरवी रखने की आवश्यकता होती हैं, एवं प्रत्येक 12 महीनों में यानि हर साल यह लैटर ऑफ़ क्रेडिट का नवीनीकरण किया जाता है.
- कोलैटरल फ्री लोन (Collateral Free Loan) :- कोलैटरल फ्री लोन या असुरक्षित व्यापार लोन विशेष रूप से छोटे व्यवसायों के लिए उपयोगी होता है, क्योकि उनके मालिक को किसी व्यवसाय या व्यक्तिगत संपत्ति को लोन की खरीद के खिलाफ कोलैटरल के रूप में आत्मसमर्पण करने की आवश्यकता नहीं होती है. इसमें आमतौर पर छोटे व्यवसायी स्टार्टअप एवं छोटे व्यवसाय में वित्तीय सहायता के लिए एवं इसे पर्याप्त रूप से स्थापित करने के लिए आवेदन कर सकते हैं.
- एसएमई लोन (SME Loan) :- जैसा कि नाम से पता चलता है, एसएमई लोन को लघु और मध्यम उद्यम को उनकी वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने और व्यापार के विस्तार के उद्देश्यों के लिए पेश किया जाता है. एसएमई लोन को मुख्य रूप से स्टार्टअप उद्यमों, लघु और मध्यम उद्यम एवं व्यापार मालिकों द्वारा लाभ उठाया जाता है. इसमें प्रत्येक बैंक या एनबीएफसी एसएमई को लोन प्रदान करने के लिए अलग – अलग ब्याज दरें लगा सकते हैं. प्रदान की गई सबसे कम ब्याज दर 8.50 % है और प्रतिवर्ष 24 % तक जा सकती है. एसएमई लोन के लिए ली जाने वाली ब्याज दर विभिन्न शर्तें जैसे कि कोलैटरल, लोन राशि और लोन की अवधि के प्रावधान पर निर्भर करेगी. हालांकि भारत में लघु उद्योग के लिए सरकार द्वारा कुछ सब्सिडी भी प्रदान की जाती है.
- महिला उद्यमों के लिए स्त्री शक्ति पैकेज (Shree Shakti Package for Women Employee) :- ऐसी महिलाएं उद्यम जिनका एक छोटे व्यवसाय में 50 % तक का मालिकाना हक होता है, यह योजना उन्ही के लिए हैं. इसके लिए राज्य एजेंसी के द्वारा एक इंटरप्रेंयूर्शिप डेवलपमेंट प्रोग्राम का आयोजन किया जाता हैं जिसमें महिला उद्यमों को हिस्सा लेने के लिए कहा जाता है. इसमें महिला उद्यमों को लोन की सुविधा की जाती हैं. यह ऐसी योजना है जिसमें महिला उद्यमों को 2 लाख रूपये से अधिक का लोन लेने पर ब्याज दर में 0.05 % की छूट प्रदान की जाती है.
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निष्कर्ष (Conclusion)
इस तरह से इन विभिन्न तरह के लोन सरकार, बैंक एवं विभिन्न वित्तीय संस्थानों द्वारा छोटे, मध्यम एवं बड़े सभी व्यवसायों और साथ ही स्टार्टअप शुरू करने वाले उद्यमों के लिए प्रदान किये जाते हैं. इससे लोगों को अपना व्यवसाय करने में वित्तीय रूप से मदद मिलती हैं. और वे अपने व्यवसाय के मध्यम से खुद की आजीविका भी चला सकते हैं. यदि आप भी अपना खुद का व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं और आपको वित्त की आवश्यकता हैं तो आप भी विभिन्न व्यवसाय लोन में से एक व्यवसाय लोन प्राप्त कर सकते हैं. और लाभ उठा सकते हैं.
एफएक्यू’स (FAQ’s)
Table of Contents
Q : व्यवसाय के लिए कौन सा व्यवसाय लोन सबसे अच्छा है ?
Ans : व्यवसाय के लिए लोन कौन सा सबसे अच्छा हैं यह कहना मुश्किल है. वैसे सरकार द्वारा दिया जाने वाला लोन किसी भी छोटे व्यवसाय के लिए लेना सबसे अच्छा हो सकता है.
Q : किसी व्यवसाय के लिए व्यवसाय लोन कैसे प्राप्त किया जा सकता है ?
Ans : किसी व्यवसाय के लिए व्यवसाय लोन प्राप्त करने के लिए आपको बैंक में जाकर संपर्क करना होगा, उसके बाद आपको अपने व्यवसाय के बारे में जानकारी वहां देनी होगी कि आप किस तरह अक व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं. फिर बैंक आपको पूरी जानकारी दे देंगे कि आपको कौन सा लोन लेना चाहिए. और फिर वहां आप उसके लिए आवेदन कर सकते हैं.
Q : व्यवसाय लोन पर बैंक कितना ब्याज देते हैं ?
Ans : हर बैंक द्वारा व्यवसाय लोन के लिए अलग – अलग ब्याज दरें निर्धारित की जाती हैं. आप जिस भी बैंक में व्यवसाय लोन के लिए आवेदन देंगे वहां जो ब्याज दर निर्धारित रहेगी आपको उसके अनुसार भुगतान करना होगा.
Q : आप प्रतिवर्ष ब्याज की गणना कैसे करते हैं ?
Ans : प्रतिवर्ष ब्याज दर के आधार पर मासिक ब्याज भुगतान की गणना करने के लिए, वार्षिक ब्याज दर से लोन के लिए मूल आधार का गुणा किया जाता है. उदाहरण के लिए, यदि आपकी लोन राशि 2 लाख रूपये है जिसे आपने 3 % की ब्याज दर के साथ उधार लिया है तो आपके ब्याज भुगतान में 600 रूपये की बढ़ोत्तरी होती है. हर महीने होने वाले आपके वार्षिक ब्याज भुगतान की राशि की गणना करने के लिए वार्षिक ब्याज राशि को 12 से विभाजित किया जाता है, अतः यदि आप साल के लिए 600 रूपये का भुगतान करते हैं तो आपको मासिक आधार पत 50 रूपये का भुगतान करना होता है.
Q : भारत में कितनी तरह के लोन दिए जाते हैं ?
Ans : भारत में 20 अलग – अलग प्रकार के लोन प्रदान किये जाते हैं, जोकि अलग – अलग उद्देश्य के लिए होते हैं.
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