How to Start Pearl Farming Business 2023: मोती फार्मिंग बिजनेस, Profit

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Pearl Farming Business : गांव- घर में रहकर अगर आप कोई ऐसा बिजनेस करने के बारे में सोच रहे हैं जिसमें आपकी महीने की कमाई कम से कम 50000 और अधिक से अधिक 100000 के पार हो जाए तो आपको मोती फार्मिंग बिजनेस के बारे में अवश्य ही विचार करना चाहिए। मोती फार्मिंग बिजनेस अथवा pearl Farming Business अधिकतर भारत के ग्रामीण इलाकों में किया जाता है, क्योंकि इस बिजनेस को करने के लिए एक बड़े तालाब की आवश्यकता होती है जिसमें मोतियों को पाला जाता है।

मोती फार्मिंग बिजनेस के अंतर्गत पैदा होने वाले मोती की डिमांड लोकल मार्केट के अलावा इंटरनेशनल मार्केट में भी तगड़ी है। इसीलिए तैयार मोती हाथों-हाथ बिक जाते हैं। मार्केट में मोती की डिमांड हमेशा बनी रहती है। इसलिए इस आर्टिकल में हम आपको “मोती फार्मिंग बिजनेस कैसे करें” और “मोती फार्मिंग बिजनेस करने के लिए क्या करें” से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध करवा रहे हैं।

Pearl Farming Business

Table of Contents

मोती फार्मिंग बिजनेस कैसे करें? (Pearl Farming Business in Hindi)

इससे पहले कि आप पर्ल फार्मिंग बिजनेस शुरू करने की कार्यवाही को प्रारंभ करें, आपको यह पता करना चाहिए कि आखिर मोती फार्मिंग बिजनेस शुरू करने के लिए आपको क्या-क्या बातें ध्यान में रखने की आवश्यकता है।

क्योंकि अगर आप बिना तैयारी के इस बिजनेस की शुरुआत कर देते हैं तो कहीं ना कहीं अनुभवहीन होने की वजह से आपको शुरुआत में ही मोती फार्मिंग बिजनेस में तगड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है।

इसलिए मोती फार्मिंग बिजनेस में लगने वाला इन्वेस्टमेंट, कर्मचारी, साधन और जोखिम तथा लाभ और नुकसान के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त करके ही अपने कदम आगे बढ़ाएं।

मोती फार्मिंग बिजनेस क्या है? (Pearl Farming Business)

मोती फार्मिंग बिजनेस को अंग्रेजी भाषा में पर्ल फार्मिंग बिजनेस कहा जाता है। इस बिजनेस में आपको मोती की खेती करनी होती है और जब मोती तैयार हो जाते हैं तब उन्हें बिजनेस के उद्देश्य से बेचना होता है। इस प्रकार से मोती की खेती करके मोती बेचने की प्रक्रिया को मोती फार्मिंग बिजनेस कहा जाता है।

मोती फार्मिंग बिजनेस करना इसलिए लाभदायक है क्योंकि इसके द्वारा अलग-अलग प्रकार के आभूषण का निर्माण किया जाता है। इसलिए इनकी क्वालिटी के आधार पर इनकी कीमत काफी अच्छी प्राप्त होती है।

आंकड़े के अनुसार प्रति कैरेट मोती की कीमत ₹1000 से लेकर के ₹200000 के आसपास तक हो सकती है। इसीलिए किसी व्यक्ति के द्वारा जब इनकम करने के लिए इस प्रकार का बिजनेस किया जाता है तो उसे पर्ल फार्मिंग बिजनेस कहते हैं।

मोती फार्मिंग बिजनेस की शुरुआत कैसे करें?

मोती फार्मिंग बिजनेस का पूरा प्लान नीचे हम आपके साथ शेयर कर रहे हैं। नीचे दिए हुए प्लान में आप यह जानेंगे कि आखिर मोती फार्मिंग बिजनेस शुरू करने के लिए आपको ट्रेनिंग कहां से प्राप्त करनी है, कितने फंड की आवश्यकता आपको होगी, कितने कर्मचारियों को आपको काम पर रखना होगा, आपको कौन-कौन से साधनों की जरूरत पड़ेगी, आपको कितना फायदा हो सकता है और कैसे आप अपने पर्ल फार्मिंग बिजनेस की मार्केटिंग कर सकते हैं।

1: ट्रेनिंग प्राप्त करें

मोती फार्मिंग बिजनेस स्थापित करने के लिए व्यक्ति को तकनीकी ज्ञान की आवश्यकता होती है। इसलिए आपको सबसे पहले इस बिजनेस की शुरुआत करने के लिए तकनीकी ज्ञान अर्थात ट्रेनिंग प्राप्त करनी पड़ेगी। इस बिजनेस को शुरू करने वाले व्यक्ति को अपने घर के पास में स्थित ऐसे ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट का पता करना चाहिए जहां पर मोती फार्मिंग बिजनेस से संबंधित ट्रेनिंग प्रदान की जाती है।

अगर आपके घर के आसपास ऐसा ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट नहीं है तो आप ऐसे लोगों से मिल सकते हैं जो पहले से ही मोती फार्मिंग का बिजनेस कर रहे हैं। उनके साथ आप 1 से 2 महीना रह कर अच्छी ट्रेनिंग प्राप्त कर सकते हैं। आप चाहे तो कृषि विज्ञान केंद्र अथवा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद से भी संपर्क स्थापित कर सकते हैं।

क्योंकि यह संस्था गवर्नमेंट के द्वारा संचालित है, जहां पर आपको मोती फार्मिंग बिजनेस की पूरी जानकारी प्राप्त होगी और यह बताया जाएगा कि मोती की खेती कैसे होती है। बिना ट्रेनिंग प्राप्त किए हुए इस बिजनेस को करने पर आपको शुरुआत में ही घाटा उठाना पड़ सकता है।

2: मोती की खेती के लिए जगह का सिलेक्शन करें

मोती फार्मिंग का बिजनेस अर्थात पर्ल फार्मिंग का बिजनेस करने के लिए जब आप जगह का सिलेक्शन करें, तब इस बात का ध्यान अवश्य रखें की जिस जगह पर आप इस बिजनेस को शुरू करना चाहते हैं अर्थात आप जिस जगह पर मोती फार्मिंग की खेती करना चाहते हैं, वहां पर पानी की पर्याप्त मात्रा उपलब्ध हो।

इसके साथ ही साथ वह जगह परमानेंट हो। कहने का मतलब है कि एक बार फार्म का निर्माण हो जाने के पश्चात उसे बार-बार इधर से उधर करने की आवश्यकता ना हो। इसके साथ ही साथ लोकेशन ऐसी होनी चाहिए जहां पर चोरी या फिर डकैती का डर ना हो और उस जगह पर बिजली कनेक्शन भी अच्छा हो।

3: अपना फार्म स्थापित करें

अब आपने जिस जगह का सिलेक्शन मोती फार्मिंग के बिजनेस के लिए किया है, वहां पर आपको फार्म को स्थापित करने की आवश्यकता होगी।

इसके लिए व्यक्ति को सर्जरी इत्यादि के लिए छप्पर बनवाने की जरूरत होगी और व्यक्ति को तालाब का निर्माण भी करवाना होगा। इसके साथ ही साथ पर्ल फार्मिंग बिजनेस शुरू करने के लिए व्यक्ति को कल्चर यूनिट स्थापित करना पड़ेगा।

4: Mussel या पर्ल ऑयस्टर का स्टोरीज

अब व्यक्ति को चाहिए यह कि वह हेल्थी पर्ल ओयस्टर को ढूंढें। इसे ढूंढने के लिए व्यक्ति ऐसे फार्म मालिकों से मिल सकता है जो पहले से ही मोती फार्मिंग का बिजनेस कर रहे हैं।

इसके अलावा व्यक्ति चाहे तो नदी, तालाब या फिर झील इत्यादि जगह से भी इसे इकट्ठा कर सकता है। इसे आप चाहे तो खुद से भी पकड़ सकते हैं या फिर आप बाल्टी अथवा कंटेनर या फिर दूसरे बर्तन में भी पानी के साथ रख सकते हैं।

5: पर्ल ओयस्टर को प्री कल्चर के लिए रेडी करना

पर्ल ओयस्टर को इकट्ठा करने के पश्चात आपको इसे प्री कल्चर के लिए रेडी करने की आवश्यकता होती है। इस कार्यवाही के लिए आपको इन्हें तकरीबन 2 से 3 दिन तक पानी के साथ इकट्ठा करके रखना होता है। आपको 1 लीटर पानी में एक मूसेल को रखने की जरूरत होती है।

6: इम्प्लांटेशन प्रक्रिया आरंभ करें

बता दें कि इंप्लांटेशन की प्रक्रिया मोती फार्मिंग बिजनेस की लोकेशन के आधार पर अलग अलग हो सकती है। सामान्य तौर पर इसे तीन अलग-अलग विधि के द्वारा पूर्ण किया जाता है। जैसे कि मेंटल कैविटी इंप्लांटेशन, मेंटल टिशु इंप्लांटेशन और गोंडल इंप्लांटेशन।

7: ओयस्टर की पोस्ट ऑपरेटिव देखभाल करें

जो ओयस्टर इमप्लांट की प्रक्रिया से गुजर जाते हैं उन्हें उसके पश्चात पोस्ट ऑपरेटिव देखभाल के लिए इकाई में रखा जाता है। यह इकाई नायलॉन बैग के द्वारा निर्मित होती है। इसमें इन्हें तकरीबन 10 से 12 दिनों के लिए रखा जाता है और इन्हें एंटीबायोटिक ट्रीटमेंट तो दी ही जाती है।

इसके अलावा इन्हें नेचुरल खाना भी उपलब्ध कराया जाता है और रोजाना इन्हें चेक करना होता है कि कहीं किसी ओयस्टर की मृत्यु तो नहीं हो गई है। अगर किसी ओयस्टर की मृत्यु हो गई है तो ऐसी अवस्था में उसे वहां से निकाल देना होता है, ताकि दूसरे ओयस्टर खराब ना हो अथवा उन्हें इंफेक्शन ना हो।

8: तैयार ओयस्टर को तालाब में रखें!

पोस्ट ऑपरेटिव देखभाल के पश्चात ओयस्टर को तालाब में डाल दिया जाता है। हालांकि तालाब के अंदर भी इन्हें नायलॉन बैग में भरकर ही डाला जाता है और हर बैग में सिर्फ दो मुसेल रखे जाते हैं। इन्हें तालाब में डायरेक्ट पानी के अंदर नहीं डाला जाता है बल्कि बांस के डंडे के द्वारा इन्हें तालाब में टांगा जाता है।

जानकारी के अनुसार तकरीबन 1 हेक्टेयर की जगह में 25000 से लेकर के 30000 मुसेल कल्चर किए जाते हैं और तालाब को जैविक खाद दी जाती है, साथ ही समय-समय पर मुसेल की देखभाल भी की जाती है।

9: हार्वेस्टिंग की प्रक्रिया शुरू करें!

मोती फार्मिंग बिजनेस में कल्चर पीरियड खत्म हो जाने के पश्चात सबसे आखरी में मुंसेल को हार्वेस्ट किया जाता है और इतनी प्रक्रिया करने के पश्चात मोती तैयार हो जाता है। अब मोती बेचने के लिए बिल्कुल तैयार है।

मोती फार्मिंग बिजनेस में इन्वेस्टमेंट (Pearl Farming Business Investment)

छोटे स्तर पर मोती फार्मिंग बिजनेस शुरू करने के लिए आपको ₹100000 तक इन्वेस्टमेंट करने की आवश्यकता हो सकती है। इसके अलावा बड़े स्तर पर पर्ल फार्मिंग बिजनेस शुरू करने के लिए तकरीबन 5 से ₹600000 की आवश्यकता पड़ सकती है।

क्योंकि मोती फार्मिंग बिजनेस के अंतर्गत आपको एक बड़ा तालाब खुदवाने की आवश्यकता होती है जिसे खोदने के लिए जेसीबी मशीन सबसे सही साधन मानी जाती है।

इसके अलावा आपको सर्जिकल एक्टिविटी को भी अंजाम देना होता है तथा आपको कल्चर यूनिट की स्थापना करनी होती है। आपको सर्जिकल रूम के लिए मेज और कुर्सी की भी आवश्यकता होती है तथा जो व्यक्ति इस बिजनेस में काम करेगा उसके रहने के लिए आपको एक छोटा सा कमरा बनाना होता है।

साथ ही पंखा, लाइट की व्यवस्था भी देनी होती है और कमर्शियल बिजली कनेक्शन लेना होता है। इस प्रकार से छोटे स्तर पर 1 लाख और बड़े स्तर पर 5 से ₹600000 इस बिजनेस में लग सकते हैं।|||

मोती फार्मिंग बिजनेस में उपकरण

मोती फार्मिंग बिजनेस में उपकरण के तौर पर आपको पंखे की आवश्यकता होगी। इसके अलावा आपको नायलान बैग की भी आवश्यकता होगी साथ ही लोगों के बैठने के लिए आपको दो कुर्सी और एक मेज की आवश्यकता होगी।

इसके अलावा आपको कॉपी किताब इत्यादि चीजों की आवश्यकता हिसाब किताब रखने के लिए होगी, साथ ही तैयार मोती को स्टोर करने के लिए आपको पैकिंग आइटम की भी आवश्यकता पड़ेगी।

मोती फार्मिंग बिजनेस में जोखिम (Pearl Farming Business Risk)

कई बार यह देखने में आता है कि व्यक्ति के द्वारा जिस तालाब में मोती फार्मिंग का बिजनेस किया जा रहा है उस तालाब में किसी न किसी वजह से इंफेक्शन पैदा हो जाता है जिसकी वजह से अधिकतर ओयस्टर की मृत्यु हो जाती है और ऐसी अवस्था में मोती फार्मिंग बिजनेस करने वाले व्यक्ति को नुकसान हो जाता है।

इसके अलावा कभी-कभी गलती की वजह से तालाब में अधिक पानी भरा जाता है। यह भी इस बिजनेस में होने वाला एक प्रमुख जोखिम है। इसके साथ ही किसी एक भी ओयस्टर को अगर इंफेक्शन हो जाता है।

और सही समय पर उसे दूसरे ओयस्टर से दूर नहीं किया जाता है तो अधिकतर ओयस्टर में यह इंफेक्शन फैल सकता है जिससे नुकसान हो सकता है। इसलिए मोती फार्मिंग बिजनेस में होने वाले जोखिम से बचने के लिए व्यक्ति को सतर्क रहना चाहिए।

मोती फार्मिंग बिजनेस में लाभ (Pearl Farming Business Benefits)

मार्केट में एक मोती की कीमत ₹8 से लेकर के ₹12 रुपए होती है। मार्केट में 1 मिलीमीटर से लेकर के 20 मिलीमीटर मोती का दाम ₹300 से लेकर के ₹1500 के आसपास में होता है। वर्तमान के समय में डिजाइनर मोती को काफी अधिक पसंद किया जा रहा है और इसकी मार्केट में अधिक डिमांड भी है। इसलिए इसकी काफी अच्छी कीमत मार्केट में प्राप्त होती है।

इंडियन मार्केट की तुलना में विदेशी मार्केट में एक्सपोर्ट करके पैसे कमाए जा सकते हैं, क्योंकि मोदी का इस्तेमाल करके विभिन्न प्रकार के सजावटी आइटम तैयार किए जाते हैं। इसके अलावा मोदी का इस्तेमाल इत्र का तेल निकालने के लिए भी बड़े पैमाने पर किया जाता है। इसलिए लोकल मार्केट में तेजी के साथ मोती को बेचा जा सकता है।

इस प्रकार से आपको मोती का जैसा दाम मिले, आप उसी प्रकार से मोती फार्मिंग बिजनेस में अपने लाभ को कैलकुलेट कर सकते हैं।

मोती फार्मिंग बिजनेस में कर्मचारी

छोटे लेवल पर अगर आपके द्वारा मोती फार्मिंग बिजनेस शुरू किया जा रहा है तो आप एक कर्मचारी को अपने साथ रख कर इस बिजनेस की शुरुआत कर सकते हैं।

परंतु आप बड़े लेवल पर इस बिजनेस की शुरुआत कर रहे हैं तो आपको कम से कम एक और आवश्यकता के अनुसार टोटल 2 लोगों की आवश्यकता अपने आप को लेकर पड़ेगी।

क्योंकि मोती फार्मिंग बिजनेस में आपको तालाब की रखवाली 24 घंटे करनी होती है। इसीलिए अगर आपके पास कर्मचारी रहेंगे तो वह घंटे के हिसाब से नौकरी करेंगे और सही प्रकार से आपके बिजनेस को चलाने में सहयोग करेंगे। कर्मचारियों को नौकरी पर रखने से पहले आप उनकी महीने की तनख्वाह के बारे में पक्की बातचीत कर ले ताकि बाद में होने वाले वाद-विवाद से आप बचे रहें।

मोती फार्मिंग बिजनेस की मार्केटिंग (Pearl Farming Business Marketing)

मोती फार्मिंग बिजनेस से तगड़ा फायदा कमाने के लिए आपको इसकी थोड़ी बहुत मार्केटिंग करने की आवश्यकता भी अवश्य होती है। अगर आप ग्रामीण इलाके में यह बिजनेस कर रहे हैं।

तो आप ग्रामीण इलाके के किसी बिजी चौराहे पर अपने मोती फार्मिंग बिजनेस का बैनर लगवा सकते हैं साथ ही बिना ₹1 खर्च किए हुए मार्केटिंग करने के लिए आप अपने जान-पहचान के लोगों से भी अपने बिजनेस के बारे में बातचीत कर सकते हैं।

इसके अलावा अगर आप सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं तो आप सोशल मीडिया के अलग-अलग ग्रुप में अपने बिजनेस का बैनर शेयर कर सकते हैं।

इसके अलावा अगर आपके दिमाग में मार्केटिंग का अन्य कोई आईडिया है तो आप उस पर भी अमल कर सकते हैं। जितना अधिक मार्केटिंग आप अपने पर्ल फार्मिंग बिजनेस की करेंगे, आपको उतने ही अधिक कस्टमर मिलने की संभावना होगी जो आपकी इनकम में बढ़ोतरी करेगी।

मोती फार्मिंग बिजनेस के लिए लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन (Pearl Farming Business License and Registration)

मोती फार्मिंग बिजनेस जब आपके द्वारा शुरू किया जाता है तब आपको कमर्शियल बिजली का कनेक्शन लेना होता है क्योंकि यह व्यापारिक बिजनेस में आता है।

इसके अलावा अगर आप किसी कंपनी के साथ अटैच होकर पर्ल फार्मिंग बिजनेस कर रहे हैं तो आपके पास लोकल नगरपालिका से या फिर ग्राम के प्रधान के द्वारा जारी की गई एनओसी सर्टिफिकेट भी होना चाहिए।

तथा आपके पास अपने सभी आवश्यक दस्तावेज भी उपलब्ध होने चाहिए और आपके पास संबंधित कंपनी के साथ किया गया एग्रीमेंट की फोटो कॉपी भी होनी चाहिए।

FAQ:

Q: मोती फार्मिंग बिजनेस शुरू करने में कितना इन्वेस्टमेंट आ सकता है?

ANS: यह इन्वेस्टमेंट आपके बिजनेस के स्तर पर डिपेंड करता है।

Q: मोती फार्मिंग बिजनेस को अंग्रेजी में क्या कहते हैं?

ANS: इसे अंग्रेजी भाषा में पर्ल फार्मिंग बिजनेस कहा जाता है।

Q: मोती का बिजनेस कैसे करते हैं?

ANS: इसकी जानकारी आर्टिकल में दी गई है।

Q: एक मोती की कीमत क्या है?

ANS: एक अच्छी क्वालिटी के मोती की कीमत ₹300 से लेकर ₹1500 तक हो सकती है।

Q: मोती की खेती की ट्रेनिंग कितने दिन की होती है?

ANS: 17 से 20 दिन तक

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