हमारे देश भारत में युवा पीढ़ी अधिकतर डॉक्टर इंजीनियर बनती है और वर्तमान में अब युवाओं की रूचि खेती बाड़ी की तरफ भी जाने लगी है. इसीलिए बहुत से युवा अब किसान बन रहे हैं. बता दें कि इस काम को करके वह लाखों रुपए तक की कमाई भी कर रहे हैं. ऐसे ही सफल किसानों की सूची में जितेंद्र पाटीदार का नाम भी दर्ज हो गया है. जानकारी के लिए बता दें कि यह मध्यप्रदेश के एक बहुत ही छोटे से गांव धलपट के रहने वाले हैं जिन्होंने ताइवान अमरूद की जैविक और आधुनिक खेती करके समाज में एक ऐसी मिसाल क़ायम की है जो अन्य लोगों के लिए भी काफी उपयोगी साबित हो सकती है. आज के इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि उन्होंने किस प्रकार ताइवान अमरूद की सफल खेती की.
जानिए खास किस्म के अमरुद की खेती करने वाले एक किसान की सफलता की कहानी.
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15 एकड़ में लगाए अमरुद
यहां सबसे पहले बता दें कि कई साल पहले तक जितेंद्र अमरूद की ही खेती करते थे लेकिन किसी दूसरी किस्म के अमरूद की. और उससे वह काफी अच्छा प्रॉफिट कमा लिया करते थे. इसी दौरान उन्हें ताइवान अमरूद के बारे में पता चला और उन्होंने इसके बारे में रिसर्च करना शुरू कर दिया. बता दें कि ताइवान अमरूद की खेती के बारे में उन्होंने कोलकाता, हैदराबाद, बेंगलोर जैसे बड़े शहरों में इसकी बहुत ज्यादा खोजबीन की. सारी जानकारी प्राप्त कर लेने के बाद उन्होंने ताइवान अमरूद के पौधों को खरीदा और लगभग 2 साल पहले उन पौधों को 15 एकड़ भूमि में लगा दिया.
कैसे तैयार होते हैं पौधे
ताइवान अमरुद के पौधे जितेंद्र बेंगलोर में स्थित टिश्यू कल्चर से तैयार करवाए जाते हैं जहां पर इन्हें बनवाने के लिए कम से कम 6 माह पहले ही उस डिपार्टमेंट को बताना होता है ताकि समय पर पौधे मिल जाए. यहां बता दें कि हर साल जितेंद्र तकरीबन 40 हजार पौधे तैयार करवाते हैं. इस सबमें उनका एक लाख रुपए से लेकर डेढ़ लाख रुपए तक का खर्चा आता है. इसके अलावा जितेंद्र अपने इलाके के आसपास के किसानों को भी इसके पौधे उपलब्ध कराने में सहायता करते हैं ताकि वह भी इसकी खेती कर सकें.
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6 महीने में फल आने लगते हैं
यहां आपको जानकारी के लिए बता दें कि अगर 1 एकड़ जमीन में ताइवानी अमरुद के पौधे लगाए जाएंगे तो उसमें लगभग 800 पौधे लग जाते हैं. यह पौधे करीबन 6 महीने से लेकर एक साल के अंदर ही फल देना शुरू कर देते हैं. बता दें कि पहले वर्ष में ही हर पौधा 8-10 किलो तक फल देता है और इस प्रकार पहले साल में ही एक एकड़ जमीन पर 8-10 टन फलों का उत्पादन हो जाता है. इसी प्रकार दूसरे साल में प्रत्येक पौधा 20-25 किलो तक फल देता है जिसके कारण उत्पादन 25 टन पहुंच जाता है.
खेत की तैयारी और समय
इस ताइवान अमरूद की खेती करने के लिए सर्वप्रथम खेत की अच्छी तरह से गहरी जुताई करनी चाहिए. उसके बाद खेत में पकी हुई गोबर की खाद डालने के अलावा उसमें बायो प्रोडक्ट्स भी जरूर डालें. फिर अपने ट्रैक्टर से एक पाल बनाएं और इस बात का विशेषकर ध्यान रखें कि हर कतार की दूरी दूसरी कतार से 9 फीट तक होना अनिवार्य है. इसी तरह से एक पौधे की दूरी दूसरे पौधे से 5 फीट तक होना आवश्यक है. इसके अलावा पौधे को बोने की गहराई आधा फीट तक होनी चाहिए. साथ ही यह भी जान लीजिए कि अगर आप ताइवान अमरुद के पौधे अपने खेतों में लगाना चाहते हैं, तो उसके लिए सबसे उचित समय जुलाई और अगस्त का महीना है जिस समय बरसात का मौसम होता है.
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सिंचाई
बता दें कि इसकी सिंचाई गर्मी के दिनों में 5 से 7 दिन में लगभग डेढ़-दो घंटे तक करनी चाहिए. लेकिन आम दिनों में इसकी रेगुलर सिंचाई की जाती है.
कब आते हैं फल
यहां जानकारी के लिए बता दें कि जितेंद्र का कहना है कि ताइवान अमरूद की खेती में साल में कम से कम 3 बार फल लगते हैं, परंतु वह इसकी फसल को केवल नवंबर के महीने में ही लेते हैं. साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि उनकी फसल में जुलाई में फल आ जाते हैं जो कि नवंबर तक पक जाते हैं और वह आगे फरवरी या मार्च के माह तक चलता है.
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कीटों से बचाव
अपने फलों को कीटों से बचाने और मक्खी नियंत्रण करने के लिए जितेंद्र फोरमैन ट्रैप और स्टिकी ट्रैप का इस्तेमाल करते हैं. फोरमैन ट्रैप से एक प्रकार की फल की गंध निकलती है जो मक्खियों को आकर्षित करती है, और स्टिकी ट्रैप में एक चिपचिपा सा पदार्थ लगा हुआ होता है जिससे अगर कीट उनसे चिपकते हैं तो वह फिर मर जाते हैं.
ताइवान अमरूद की खासियत
- यह फल अगर आप तोड़ कर रख लेंगे तो 8 दिन तक भी खराब नहीं होता है.
- ताइवान अमरूद खेती से 6 महीने से 12 महीने पश्चात ही फल मिलने लग जाता है.
- यह खाने में बहुत स्वादिष्ट होता है और इसका रंग अंदर से हल्का गुलाबी होता है.
- साथ ही बता दें कि इसका वजन 300 ग्राम से लेकर 800 ग्राम तक हो जाता है.
- बरसात के मौसम में दूसरे अन्य फल पकने लगते हैं लेकिन बारिश होने पर भी यह फल पकता नहीं है.
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आमदनी कितनी होती है
जितेंद्र ने बताया कि मौजूदा समय में ताइवानी अमरूद की मांग दिल्ली के अलावा उत्तर प्रदेश और अन्य दूसरे राज्यों में भी काफी अधिक बढ़ गई है. जितेंद्र अपने इलाके में स्थानीय व्यापारियों को थोक में 40 रूपए किलो के भाव में अमरूद देते हैं. लेकिन जब इसका सीजन चला जाता है तो फिर यह 25 रुपए किलो से लेकर 30 रुपए तक के भाव से बिकता है. इसके अलावा जितेंद्र ने यह भी बताया कि उन्होंने पिछले साल ताइवान अमरूद की खेती के साथ – साथ पपीता, प्याज, अश्वगंधा, हल्दी आदि की खेती करके 25 लाख से लेकर 30 लाख रुपए तक कमाए थे. साथ ही उन्होंने इस साल 40 लाख रुपए तक कमाने का अपना टारगेट बनाया है.
कहां से लें बीज
जितेंद्र पाटीदार, जेपी फार्म ऑर्गेनिक फार्म्स
मोबाइल नंबर-97770269992
पता- गांव धलपट, तहसील सुवासरा, जिला मंदसौर, मध्य प्रदेश, भारत.
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तो इस तरह से जितेन्द्र ने केवल खेती करके 30 लाख रूपये की अपनी आमदनी बना ली. इनकी कहानी से आप भी प्रेरित होकर खुद का कोई बिज़नेस शुरू करके लाखों कमा सकते हैं.
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